Computer के बारे में सब जानकारी ऐसे ले, Computer All Tips & Tricks  Computer कैसे चलाये 


कंप्यूटरों का परिचय

(Introduction to Computers)

       उद्देश्य (Objectives)

इस पीरियड के अन्त में, आप जान पाएँगे -

- कंप्यूटर क्या है?

- कंप्यूटर के भागों को पहचानना।

- कंप्यूटर के फायदों और सीमाओं के बारे में बता पाएँगे।

- कंप्यूटर की पीढ़ी का वर्णन कर पाएँगे।

• अपने कंप्यूटर का रख-रखाव ।



कंप्यूटरों का परिचय (Introduction to Computers)

जैसा कि आप सब जानते हैं, कंप्यूटरों का इस्तेमाल सभी क्षेत्रों में होता है। उदाहरणः विज्ञान,

शिक्षा, मौसम की भविष्यवाणी और फिल्में। 


आम आदमी द्वारा इनका इस्तेमाल रेलवे आरक्षण,

अल्ट्रा साउण्ड और दुकानों में बिल बनाने के लिए किया जाता है। कंप्यूटर एक मशीन है जो

इनपुट लेने के बाद, प्रोसेस करता है, आउटपुट प्रदान करता है। यह एक इलैक्ट्रॉनिक उपकरण

है जो डाटा को स्टोर करने के साथ-साथ इसे प्रोसेस भी कर सकता है।

कंप्यूटर में निम्नलिखित भाग होते हैं: इनपुट प्रोसेसिंग और आउटपुट उपकरण।

कंप्यूटर के मूलभूत अंग इस प्रकार हैं,


 कीबोर्ड, माउस, सिस्टम यूनिट और मॉनीटर।

कीबोर्ड, माउस और मॉनीटर को पैरीफेरल भी कहा जाता है। कंप्यूटर के ऐसे भाग जिन्हें आप

छू कर महसूस कर सकते हैं, कंप्यूटर हार्डवेयर कहलाते हैं। कंप्यूटर सिर्फ हार्डवेयर की मदद

से कोई काम नहीं कर सकता। मनचाहे तरीके से काम करने के लिए इसे निर्देशों की जरूरत

पड़ती है। कंप्यूटर की भाषा में, किसी काम को करने के लिए निर्देशों के सैट को प्रोग्राम कहा

जाता है और अधिक सम्बन्धित प्रोग्रामों को एक साथ मिलाकर सॉफ्टवेयर कहा जाता है।


कंप्यूटर इस्तेमाल करने के कई फायदे हैं। वे तेज गति से काम करते हैं, सटीकता से काम

करते हैं, स्टोर कर सकते हैं और किसी एक काम को बार-बार कर सकते हैं। लेकिन ये सिर्फ

मशीन ही होती हैं। यह कोई भी काम अपने आप नहीं कर सकते। किसी भी काम को सही तरीके से करने के लिए आपको कंप्यूटर को स्पष्ट और सही निर्देश देने होंगे। यदि कंप्यूटर को दिए गए निर्देश सही न हुए या फिर अधूरे हुए तो यह सही परिणाम नहीं देगा।


कंप्यूटरों की पीढ़ी (Generation of Computers)


द्वितीय विश्व युद्ध से पहले, कंप्यूटर पूरी तरह से मैकेनिकल थे। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कंप्यूटरों को कुछ महत्त्व मिला क्योंकि सेना आपस में गुप्त जानकारी का आदान-प्रदान करना चाहती थी। इस तरह की आवश्यकता के चलते कंप्यूटरों में बहुत तेजी से विकास हुआ।


इस विकास को हम पांच अलग-अलग चरणों में बाँट सकते हैं। इन चरणों को कंप्यूटरों की पीढियों के रूप में जाना जाता है।

पहली पीढ़ी (1940 से 1950 का दशक)

(First Generation (1940's - 1950's)

कंप्यूटर की पहली पीढ़ी का आधारभूत घटक निर्वात (वैक्यूम) था। निर्वात नली एक इलैक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जो डिजिटल सिग्नलों को तेज गति से सवंर्धित करने की

सुविधा देता है।



निर्वात नली से बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा निकलती थी जिसके कारण कंप्यूटर बार-बार काम करना बन्द कर देता था। इस दौरान अलग - अलग काम करने वाले कई कंप्यूटरों को विकसित किया गया। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं

ENIAC - इलैक्ट्रॉनिक न्यूमैरिकल इन्टीग्रेटर एनेलाईजर एण्ड कंप्यूटर।

- EDVAC - इलैक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वैरिएबल ऑटोमैटिक कंप्यूटर।

. UNIVAC- यूनीर्सल ऑटोमैटिक कंप्यूटर ।

. मार्क 1 (Mark1)

पहली पीढ़ी के सभी कंप्यूटर बहुत बड़े थे, वे एक कमरे जितनी जगह घेरते थे और बहुत गर्मी पैदा करते थे। उनकी गति भी बहुत धीमी थी और उनमें अक्सर दिक्कत आती रहती थी।

दूसरी पीढ़ी (1950 से 1960 का दशक)

(Second Generation of Computers (1950's - 1960's)

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में ट्रांसिस्टर नामक ठोस सामग्री का इस्तेमाल किया गया। ट्रांसिस्टर निर्वात नली की तुलना में बहुत सुविधाजनक थे। वे निर्वात नली की अपेक्षा सस्ते और कार्यक्षम भी थे।

इस दौरान हाई-लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेजिज़ का इस्तेमाल किया गया जैसे COBOL और FORTRAN और कंप्यूटर के डिजाइन में कई तरह के विकास हुए।

पिछली पीढ़ी के मुकाबले इन कंप्यूटरों के फायदे


 इस प्रकार हैं:

आकार में छोटे

उच्च विश्वस्नीयता

तेज कंप्यूटिंग क्षमता

तीसरी पीढ़ी (1960 से 1970 का दशक)

(Third Generation of Computers (1960's - 1970's))

हालाँकि ट्रांसिस्टर, निर्वात नली की तुलना में सुधार था, फिर भी उनकी कुछ सीमाएँ थीं। उनके सर्किट बहुत जटिल थे और हर एक ट्रांसिस्टर के बीच बहुत से कनैक्शन थे।


बहुत बड़ी सफलता उस समय मिली जब सैकड़ों ट्रांसिस्टरों को एक साथ और इन्टीग्रेटिड सर्किट (IC) नामक एकल सिलिकॉन चिप बनाई गई। ट्रांसिस्टरों की जगह पर IC चिप्स के इस्तेमाल ने कंप्यूटरों की तीसरी पीढ़ी को जन्म दिया।

कई बार इस तरह के सर्किटों की एक से अधिक परतें होती थीं। इन्हें लार्ज स्केल इन्टीग्रेटिड सर्किट (LSI) कहा जाता था। जिन कंप्यूटरों में LSI सर्किट का इस्तेमाल किया गया उन्हें तीसरी पीढ़ी का कंप्यूटर कहा गया। LSI में विकास से छोटे आकार के कंप्यूटर सामने आए जिनकी

कंप्यूटिंग गति भी बहुत तेज़ थी।

चौथी पीढ़ी (1970 से 1980 का दशक)

(Fourth Generation of Computers (1970's - 1980's))


LSI तकनीक से बहुत वैरी लार्ज स्केल इन्टीग्रेशन (VLSI) के विकास को दिशा मिली जिसमें लाखों ट्रांसिस्टरों को एक ही चिप में रखा जा सकता था। यह चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों का मूलभूत घटक था। VLSI चिप्स से बहुत तेज कैल्कुलेशन की जा सकती थी। इन चिप्स के इस्तेमाल वॉशिंग मशीन जैसे घरेलू सामानों में भी किया जाता है। माइक्रोप्रोसेसर एक चिप होता है जो कंप्यूटर की पूरी प्रोसेसिंग कर सकता है, इसका आविष्कार 1972 में हुआ।


पाचवीं पीढ़ी (1980 के बाद)

(Fifth Generation of Computers (From 1980 onwards))

इस पीढ़ी में, शोधकर्ताओं का ध्यान सोचने वाले कंप्यूटरों को विकसित करने पर है। इस तकनीक को कृत्रिम बुद्धि (Artificial intelligence) कहा जाता है। इस तरह के कंप्यूटरों को पाचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर कहा जाता है। आप आज कल जिन कंप्यूटरों को इस्तेमाल कर रहे हैं, वे पाचवीं पीढ़ी से ही हैं।


आपके कंप्यूटर का रख-रखाव (Maintenance of Your Computer)

ज्यादातर यूज़र अपने कंप्यूटर का सही रख-रखाव नहीं कर पाते हैं। अपने कंप्यूटर को सही ढंग से रखना बहुत महत्त्वपूर्ण है ताकि यह ठीक से काम करता रहे। नीचे कुछ मार्गदर्शक बातें दी गई हैं, जो आपके कंप्यूटर को सही ढंग से रखने में मदद करते हैं। सामान्य सुरक्षा उपाय (General Safety Measures)

/ करें (Do's)

1. अपने कंप्यूटर को ठण्डी, सूखी और धूल रहित जगह पर रखें।

2. यह सुनिश्चित कर लें कि सिस्टम यूनिट, मॉनीटर और प्रिन्टर के स्विच, मेन पावर स्विच ऑन करने से पहले ऑफ हैं।

3. मेन पावर सप्लाई ऑफ करने से पहले मॉनीटर, सिस्टम यूनिट और प्रिन्टर को स्विच ऑफ कर दें।

4. कंप्यूटर के कार्य क्षेत्र को नियमित रूप से साफ करें।

5. दिन का काम पूरा हो जाने के बाद कंप्यूटर को ढक दें।

6. कंप्यूटर और कमरे की दीवार के बीच पर्याप्त जगह रखें, ताकि हवा की आवा-जाही ठीक से हो सके।



x न करें (Don'ts)

1. कंप्यूटर के पास कुछ न खाएँ-पिएँ।

2. कंप्यूटर पर सीधी धूप न पड़ने दें।

3. जब कंप्यूटर ऑन हो तो इसके आस-पास बिजली का और कोई उपकरण न चलाएँ। सिस्टम यूनिट का रख-रखाव (Maintaining the System Unit)

अपनी सिस्टम यूनिट को सही काम-काजी स्थिति में बनाए रखने के लिए निम्नलिखित मार्गदर्शक निर्देशों का पालन करें।

 करें (Do's)


फ्लॉपी ड्राइव के साथ आराम से काम करें।

1. सिस्टम ऑफ करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि फ्लॉपी ड्राइव में फ्लॉपी नहीं है।

x न करें (Don'ts)

1. ड्राइव में फ्लॉपी के साथ सिस्टम बन्द न करें।

2. जब ड्राइव इन्डीकेटर जल रहा हो तो न तो डिस्क डालें और न ही निकालें।

3. जब हार्ड डिस्क सक्रिय हो तो सिस्टम को स्विच ऑफ न करें।

मॉनीटर का रख-रखाव (Maintaining the Monitor)

मॉनीटर या स्क्रीन वह स्थान है जहाँ पर आउटपुट दिखाई देती है। इसलिए आपको इसका खास ध्यान रखना होगा।

करें (Do's)

1. सिस्टम को स्विच ऑफ करने से पहले ब्राइटनैस और कन्ट्रास्ट को कम से कम रखें और फिर इसे आवश्यक स्तर तक बढ़ाएँ।



x न करें (Don'ts)

1. मॉनीटर को खोलने और इसके हिस्सों को छूने की कोशिश न करें। कीबोर्ड का रख-रखाव (Maintaining the Keyboard)

कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस है, जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर को इनपुट देने के लिए किया जाता है। कीबोर्ड का ध्यान रखने के लिए,


/ करें (Do's)

1. अपने कीबोर्ड की नियमित रूप से सफाई करें।

2. कीबोर्ड पर जमी धूल को साफ करने के लिए वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करें।

न करें (Don'ts)

1.कीज़ को जोर से न दबाएँ।

2. अपने हाथों को कीबोर्ड पर न टिकाएँ।

3. कीबोर्ड पर अन्य कोई चीज़ भी न रखें।

4. सिस्टम स्विच ऑफ कर देने के बाद कीज़ को न दबाएँ।

5. कीबोर्ड की केबल को न खीचें।



माउस का रख-रखाव (Maintaining the Mouse)

माउस एक इनपुट डिवाइस है। इसका इस्तेमाल स्क्रीन पर विकल्पों को सेलेक्ट करने के लिए किया जाता है। अपने माउस को ही कार्य स्थिति में रखने के लिए,

करें (Do's)


1. माउस पैड का इस्तेमाल करें।

2. यदि माउस पैड न हो तो, माउस को किसी साफ समतल सतह पर रखें।

x न करें (Don'ts)

1. माउस की केबल को न खीचें।

2. माउस को अत्यधिक नमी वाली जगह पर न रखें।